मैं कोने में बैठा
कुछ सोच रहा, कुछ लिख रहा
किसी ने जाना मुझे क्या दिख रहा
हर कोई मुझसे मिलता
मुस्कुराकर आगे चलता
कोई पूछता क्या लिख रहे?
मेरा दिल अब क्या कहे?
कोने में बैठा
मैं क्या सोच रहा, क्या लिख रहा
किसी ने ना जाना मुझे क्या दिख रहा
कभी कभी कोई मेरे पास आ जाता
कुछ देर बतियाता और चला जाता
काश वो जान पाता
मैं कोने में बैठा
क्या सोच रहा
क्या लिख रहा और
मुझे क्या दिख रहा
धीरे धीरे मेरे शब्द लोगों तक पहुँच रहे
शायद कोई जान सके
मेरे शब्द असल में क्या कहें
अब मैं लोगों के और करीब जा रहा
शायद उन्हें समझ आये
मुझे क्या दिख रहा
और
मैं क्या कहना चाह रहा|
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