आज फिर उस तस्वीर ने तेरी याद दिला दी
मुरझाई हुई फितरत फिर से खिला दी
जब देखा उस तस्वीर को
कोसा अपनी तकदीर को
काश तू तस्वीर से बाहर आती
और मेरे अनकहे एहसास को समझ पाती|
आज फिर तेरी तस्वीर मुझे वहाँ ले गयी
जहाँ तू मुझे ढेर सारा प्यार दे गयी
तस्वीर में भी तेरी आँखें कुछ बोलती हैं
जैसे तेरे मेरे साथ का एक नया दरवाज़ा खोलती हैं
काश तू तस्वीर में पलकें झपकाती
और मेरे दिल को नया रास्ता दिखाती|
आज फिर तेरी तस्वीर मुझे देख के मुस्कुरा रही
कहीं तू मेरा मज़ाक तो नहीं उड़ा रही
तस्वीर में भी तुझे छूने को दिल करता है
तू बुरा ना मान जाये, दिल यही सोच के डरता है
काश तेरी तस्वीर की मुस्कराहट ही तेरी हाँ हो
मेरे दिल की तो हाँ ही है, तेरी चाहे ना हो|