तुमने कहा मैं कुछ लिखूं
पर क्या लिखूं, पता नहीं
तुमने इशारा किया अपनी आँखों से
पर क्या कहा पता नहीं
तुम्हारी आँखों में रंग है कई
कौन सा चुनु, पता नहीं
तुम्हारी पलकों के पीछे क्या छुपा है
कैसे जानू, पता नहीं
तुम पलकें खोलती हो
तो एक नया मौसम आता है
पर कौन सा, पता नहीं
तुम्हारी आँखों की गहराइयाँ,
कितनो के दिल भरती है,
ये तुम्हे पता नहीं
तुमने कहा मैं कुछ लिखूं
इतना कुछ है तुम्हारी आँखों में
क्या क्या लिखूं, पता नहीं|
Tuesday, July 31, 2012
Friday, July 6, 2012
कोई दूर जा रहा
कोई धीरे धीरे फिर से दूर जा रहा
क्या काला बादल फिर से छा रहा?
भगवान करे ये वहम हो
मेरी आशंकाओं का ये दहन हो
पर मैं झुठला भी तो नहीं पा रहा
कोई धीरे धीरे फिर से दूर जा रहा|
दूर हवा में उड़ाकर फिर से डोर छोड़ दी
मेरी ज़िन्दगी की कश्ती किसी दूसरी ही तरफ मोड़ दी
अपनी कश्ती समेत मैं गोते खा रहा
डूब रहा हूँ मैं या कोई मुझसे दूर जा रहा|
इतने करीब आकर मुझे बेगाना सा कर दिया
मेरा दिल निकालकर मुझे खाली पैमाना सा कर दिया
ऐसा लगा कोई आत्मा को छू कर प्यार का गीत गा रहा
एक बार फिर कोई धीरे धीरे मुझसे दूर जा रहा|
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