तू कहीं भी हो
कुछ फरक नहीं पड़ता
क्योंकि हर रात के बाद
है नया दिन चढ़ता
तू दूर है कहीं
जहाँ मैं तुझे देख नहीं पाता
पर तू मेरे दिल में ही है
मैं ये क्यों समझ नहीं पाता
मैं तेरी और मेरी मुलाकातों को याद करता हूँ
पर वो कहते हैं मैं वक़्त बर्बाद करता हूँ
उन्हें क्या पता
इन यादों में ही तेरा दीदार हो जाता है
न चाहते हुए भी फिर से प्यार हो जाता है।
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