Saturday, April 20, 2013

माँ मुझे इस दिल्ली से दूर ले जा

माँ मुझे इस दिल्ली से दूर ले जा
और  ले  जा  उस बड़े दिलवाली दिल्ली में 
जिस के दिल में जिस्म की भूख ना हो
सीने में वासना की आग ना हो
और बलात्कार का वो काला दाग ना हो
बस माँ मुझे  ले  चल
मैं ही नहीं तू भी बच जाएगी
ये दिल्ली हमें नोच नोच के नहीं खाएगी

मैं तो अभी बहुत छोटी हूँ 
मुझे छुपा ले अपने आँचल में
कहीं इस दिल्ली की गन्दी नज़र मुझपे ना पड़ जाये
कहीं मेरा आने वाला कल आने से पहले ही ना सड़ जाये
माँ तुम उठती क्यों नहीं
क्या बड़े दिलवाली दिल्ली बहुत दूर है?
या वो दिल्ली भी इतनी ही क्रूर है?
क्या इस दिल्ली के लोग भी उस दिल्ली में रहने लगे
माँ अब तेरी आँखों से आंसू क्यों बहने लगे

image source: http://flickr.com/
माँ ये तू क्या कह रही
बड़े दिलवाली दिल्ली कहीं है ही नहीं
दिलवाली बस एक छवी ही रह गयी
अब दिल्ली का दिल आवारा हो गया
और इसे लगता है हर लड़की का जिस्म हमारा हो गया
माँ तुझे पता था दिल्ली अब हैवान है
यहाँ कोई इंसान नहीं सब शैतान हैं
फिर भी तूने मुझे पैदा किया
अपनी ममता का क्यों सौदा किया 
अपनी दिल्ली को मैंने  इन सभ्य बलात्कारियो को हार दिया
माँ तूने मुझे भ्रूण में ही क्यों ना मार दिया?


Source: Click here

No comments:

Post a Comment