आँखें बंद करते ही तुम सामने आती हो
मुझे बताओ
आँख खुलते ही कहाँ चली जाती हो
आँखें खोले बिना मैं रह नहीं सकता
और तुम सामने ना हो ये मैं सह नहीं सकता
अब तुम बताओ मैं क्या करूँ
आँखें खोलूं या प्यार करूँ
अब आँख खुली तो तुम्हारी तस्वीर आँखों के सामने हैं
हाथ कहाँ हैं तुम्हारे, जो मुझे थामने हैं
तुम मुस्कुराती ही रहोगी या कुछ बोलोगी भी
अंदाज़ा ही लगाऊं या दिल के भेद खोलोगी भी
अब तुम ही बताओ मैं क्या करूँ
आँखें बंद कर लूं या तुम्हारा दीदार करूँ
तुम चुप चाप मत रहो
मैं आँखें बंद कर लेता हूँ
जो पूछना है पूछ लो
मैं जवाब देता हूँ
अगर मैं भी सिर्फ मुस्कुराता रहा
तो तुम्हे कैसा लगेगा
शायद तुम भी सिर्फ मुस्कुराओगी
क्योंकि दिल नज़रों के ज़रिये सब कुछ कहेगा|
No comments:
Post a Comment