Saturday, December 29, 2012

तेरे हाथों की मेहंदी

तेरे हाथों की मेहंदी फ़ीकी पड़  रही
हर बीते दिन के साथ
पर प्यार गहराता जा रहा
हर बीते पल के साथ

तेरे हाथों की मेहँदी में
जो मेरा नाम था
धुंधलाता जा रहा
पर एक अनकहा प्यार बढता ही जा रहा

तेरे हाथों की मेहंदी फीकी पड़ रही
हर बीते दिन के साथ
पर उसकी खुशबू घुल रही मुझमे
मेरी हर साँस के साथ।